महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

महाशिवरात्रि क्यू मनाई जाती हैं हेल्लो दोस्तो आज के इस टॉपिक में हम आपको बताने वाले है. महाशिवरात्री क्यों मनाई जाती है. महाशिवरात्रि का मतलब क्या होता है. शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है. महाशिवरात्रि के पीछे की कहानी शिव जी के कितने पुत्र है. चलिए जानते ।
महाशिवरात्रि क्यू मनाई जाती हैं
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महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

महाशिवरात्रि क्यू मनाई जाती हैं – महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्तो के लिए बड़ा ही खास और महत्वपूर्ण होता है. इस दिन भगवान शंकर के नाम व्रत रखते है. महिलाओं के लिए यह दिन बहुत ही खास होता है ऐसी मान्यता है महाशिवरात्रि का व्रत रखने से अविवाहित महिलाओं के शादी जल्दी होती है वही विवाहित महिलाओं की अपने पति के सुखी जीवन के लिए महाशिवरात्रि का व्रत रखती हैं पूरे साल में 12 शिवरात्रि होती हैं.
इसमें से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है हर महीने कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी के दिन आने वाली शिवरात्रि को सिर्फ शिवरात्रि कहा जाता है लेकिन फागुन मास के कृष्ण चतुर्दशी के दिन आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहां जाता है. कई लोग इसे बड़ी शिवरात्रि के नाम से भी जानते हैं फागुन मास के कृष्ण चतुर्दशी के दिन आने वाली शिवरात्रि सबसे बड़ी शिवरात्रि होती है. इसी वजह से महाशिवरात्रि कहा गया है. महाशिवरात्रि के दिन ही मंदिरों में शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. इस दिन भक्त व्रत रखते हैं. बेलपत्र चढ़ाते हैं और भगवान शिव के विधिवत पूजा करते हैं
फागुन मास की शिवरात्रि इतनी खास क्यों होती है?
महाशिवरात्रि क्यू मनाई जाती हैं – पुराने कथाओं के मुताबिक महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे इसी दिन पहली बार शिवलिंग को भगवान् विष्णु और ब्रह्मा जी ने पूजा था मान्यता एक घटना के चलते महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग की विशेष पूजा की जाती है वही माना यह भी जाता है ब्रह्मा जी ने महाशिवरात्रि के दिन ही शिव जी के रूद्र रूप को प्रकट किया था इसके अलावा दूसरी प्रचलित कथा के मुताबिक महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था इसी वजह से नेपाल में महाशिवरात्रि के 3 दिन पहले से ही मंदिरों को मंडप की तरह सजाया जाता है मां पार्वती और शिव जी को दूल्हा दुल्हन बनाकर घर-घर घुमाया जाता है और महाशिवरात्रि के दिन उनका विवाह कराया जाता है.
इसी कथा के चलते माना जाता है कुंवारी कन्याओं के द्वारा महाशिवरात्रि का व्रत रखना शादी का संयोग जल्दी बनता है. वही महाशिवरात्रि के लेकर तीसरी प्रचलित कथा के मुताबिक भगवान शिव के जरिए विश पीकर पूरे संसार को इस से बचाने के घटना के उपलक्ष में महाशिवरात्रि मनाई जाती है दरअसल सागर मंथन के दौरान जब अमृत के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध चल रहा था अमृत से पहले सागर से कल्पुणुक नाम का विश भी निकला था यह विश इतना खतरनाक था इससे पूरा ब्रह्मांड नष्ट किया जा सकता था लेकिन इसे सिर्फ भगवान शिव ही नष्ट कर सकते थे तब भगवान शिव ने कालपुट नामक विश को अपने कंठ में रख लिया था इससे उनका कंठ यानी गला नीला हो गया था इसी घटना के बाद से भगवान शिव का नाम नीलकंठ पड़ा था।
महाशिवरात्रि के पीछे क्या कहानी है?
पुराने कथाओं के मुताबिक महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे इसी दिन पहली बार शिवलिंग को भगवान् विष्णु और ब्रह्मा जी ने पूजा था मान्यता एक घटना के चलते महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग की विशेष पूजा की जाती है वही माना यह भी जाता है ब्रह्मा जी ने महाशिवरात्रि के दिन ही शिव जी के रूद्र रूप को प्रकट किया था इसके अलावा दूसरी प्रचलित कथा के मुताबिक महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था वही महाशिवरात्रि के लेकर तीसरी प्रचलित कथा के मुताबिक भगवान शिव के जरिए विश पीकर पूरे संसार को इस से बचाने के घटना के उपलक्ष में महाशिवरात्रि मनाई जाती है. कुंवारी कन्याओं के द्वारा महाशिवरात्रि का व्रत रखना शादी का संयोग जल्दी बनता है।
शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है?
बात करेंगे सबसे पहले शिवरात्रि की शिवरात्रि हर महीने के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी को मनाई जाती है. जिसे प्रदोष भी कहा जाता है. हर महीने में आने के कारण इसे मासिक शिवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. जब तिथि सावन मास में आती है. तो उसे बड़ी शिवरात्रि कहा जाता है. सावन मास भगवान शिव का माना जाता है. इसीलिए इस महीने आने वाले शिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.
अब बात करेंगे महाशिवरात्रि की फागुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. इस दिन को शिवभक्त बड़े ही उत्सव से मनाते हैं. इस दिन व्रत रखने से कई व्रत के बराबर पुण्य प्राप्त होती है. मान्यता यह भी है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में ही भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक फागुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि मैं चंद्रमा सूर्य के नजदीक होता है. उसी समय जीवन रूपी चंद्रमा शिव रूपी सूर्य के साथ योग मिलन होता है।
उम्मीद है की आजकी इस पोस्ट में आप जान चुके होंगे. महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?फागुन मास की शिवरात्रि इतनी खास क्यों होती है?महाशिवरात्रि के पीछे क्या कहानी है?शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है?? यदि अभी भी आपके मन में कोई भी सवाल हो तो आप हमें कमेंट्स में जरुर बता सकते है। हमें आपके सभी सवालों का जवाब देते हुए बहुत ख़ुशी होती है।
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