झारखंड अलग राज्य क्यू बना
हेल्लो दोस्तों स्वागत है। आपको हमारे इस टॉपिक झारखंड अलग राज्य क्यू बना के nayijankari में।

झारखंड अलग राज्य क्यू बना – हेल्लो दोस्तों स्वागत है। आपको हमारे इस टॉपिक झारखंड अलग राज्य क्यू बना के nayijankari में।
बता दें कि बिहार और झारखंड कुछ समय पहले एक साथ हुआ करती थी। जो बिहार के नाम से जाना जाता था। बिहार और झारखंड में बहुत सारे भाषा सम्मान में होने के बावजूद भी झारखंड में रहने वाले लोग बिहार से अलग होने की मांग बहुत पहले से कर रहे थे।
झारखंड को अलग राज्य बनने का मांग क्यू कर रहे थे।
झारखंड अलग राज्य क्यू बना – झारखंड को अलग राज्य बनाने का बहुत सारे कारण थे वैसे तो बिहार और झारखंड हिंदी भाषा के अंतर्गत आते हैं लेकिन की संस्कृति इतिहास और भौगोलिक स्थिति में काफी अंतर था जो विभाजन के मुख्य वजह वित्त हैं
जहां बिहार में सभी भाषाएं भारतीय आर्य भाषा में ऊंची है वही झारखंड में बोली जाने वाली भाषा भाषाएं या तो अरेबियन है या इतिहास पोस्ट स्टोलेन भाषा से बिहार और झारखंड का क्षेत्रफल लगभग बराबर होने के कारण भी बिहार का जनसंख्या झारखंड की तुलना में बिहार का जनसंख्या झारखण्ड कि तुलना मे अड़ाई गुना है।
बिहार कि आबादी में लगभग 10 करोड है और झारखण्ड कि बात करे तो चार करोड है और बिहार कि कुल आबादी में लगभग एक फिशदी ही आदिवासी है वही भागोलिक रुप से देखे तो झारखंड पथरी इलाका है याहा पर बहुत ज्यादा जंगल पर्वत हरियाली और खदान है। जबकि समतल जगह है याहा के मुख्य फशल कृषि है।
यह एक कृषि प्रधान राज है इस कारण से दोनों की भौगोलिक स्थिति में काफी अंतर है इसके अलावा मुख्य रूप झारखण्ड में खदान का भंडार है लेकिन कृषि योग्य भूमि बहुत कम है जबकि बिहार में खदान की मात्रा उतना नहीं है लेकिन कृषि योग्य भूमि बहुत है
दोनो राज्य का इतिहास।
झारखंड अलग राज्य क्यू बना– तो दोनो राज्य कि इतिहास कि बात करे तो बिहार राज्य का इतिहास बहुत ही ज्यादा श्रम विधि है। क्योंकि बिहार मगध मिलता और भोजपुरी इत्यादि मिलकर बना है। जबकि झारखंड मगध और कलिंग के बीच का भाग था। जिससे ज्यादातर आदिवासी जनजातियां रहती थी। ऐसे कई छोटे-मोटे कारण से झारखंड को हमेशा लगता रहा कि हम बिहारी लोगों से अलग हैं। इसके अलावा इतिहास में कई ऐसी घटना घटी थी जिसके चलते झारखंड के लोगों में भावना और गहराई से बढ़ गई हैं। उन्हें लगा हम बिहारी लोगों से अलग हैं जैसे जय पाल सिंह मुंडा इन के नेतृत्व में साल 1920 में पहली बार झारखंड को अलग राज्य बनाने की मांग रखी थी।
अचानक से नहीं आई थी ऐतिहासिक कारण है। अंग्रेजों द्वारा साल 1793 मे अस्थाई बंदोबस्त और साल 1859 सेल एंड रेंट लो लाया था जिसे झारखंड आदिवासी की जमीन बाहरी लोगों द्वारा ली गई। इसके बाद अंग्रेज द्वारा भारतीय फॉरेस्ट अधिविवन लाया गया। भारतीय वन अधिकार आने के बाद आदिवासी लोग जंगल से कोई चीज का इस्तमाल नही कर सकते थे। जो कि उनके आमदनी का प्रमुख जरिया था। जैसे कि अभी बताया झारखंड एक जंगली इलाका था। जो कि जंगल में आदिवासी लोगों का रोजी-रोटी था अब जमीन हंस तरण के कारण आदिवासी लोगों की जमीन बाहरी लोगों के दी गई तब बाहरी लोगों और झारखंड के मूल निवासी के बीच काफी संघर्ष होने लगा जोकि साल 1903 कि छोटा नागपुर टेनेंसी अधिनियम और संथाल परगना के बाद कुछ कम हो गया था।
खनिज संपदा से भरा प्रदेश।
अब झारखंड खनिज संपदा से बारा प्रदेश है। इनका खनिज के खनन के लिए झारखंड में कई बड़े बड़े उद्योग लगाया गया। जिस कारण भी झारखंड के मूल निवासी को एक बार फिर जमीन छोड़कर विस्थापित होना पड़ा। इसके बदले में उनका उचित मुआवजा भी नहीं दिया गया। यानि झारखंड में खनिज भंडार था लेकिन इसके बावजूद भी यहां के लोगों गरीब के गरीब ही रहे। क्योंकि खनिज उत्पादन से जितना भी फायदा होता। तो पहले अंग्रेज को और उसके बाद केंद्र को मिलता था।
झारखंड के मूल निवासी को इसका एक भी लाभ नहीं मिला। जिस कारण इन लोगों के अंदर असंतोष की भावना और अधिक बैठ गई। इन सबको देखकर झारखंड के आदिवासी को लगा कि हमारा एक अलग राज्य बना देना चाहिए। इस कारण साल 1920 में जयपाल सिंह मुंडा के प्रभाव से झारखंड के अलग राज्य बनाने का प्रस्ताव रखा गया।
लेकिन साईमनकमीशन मैं इस प्रभाव को खारिज कर दिया अंग्रेज ने झारखंड राज्य बनाने की मंजूरी नहीं दी जयपाल सिंह मुंडा एक प्रभावशाली व्यक्ति थे इंग्लैंड से इन्होंने उच्च शिक्षा की थी ओलंपिक में भारत टीम का नेतृत्व भी किया था इसके बाद साल 1938 में जयपाल सिंह मुंडा ने आदिवासी महासभा की गठन की जिस महासभा के अध्यक्ष व खुद ही बने इस महासभा के एक ही उद्देश्य था,
जयपाल सिंह मुंडा ने झारखंड अलग राज्य करने का विचार किया था.
झारखंड को अलग राज्य बना ना एक बार जयपाल सिंह मुंडा ने सुभाष चंद्र बोस से झारखंड अलग राज्य करने का विचार भी किया था तब सुभाष चंद्र बोस ने यह कहकर मना कर दिया कि देश की आजादी पर गलत असर असर पड़ेगा जिसे जयपाल सिंह मुंडा झारखंड अलग करने का प्रवास प्रयास कम कर दिया तब देश की आजादी के बाद जयपाल सिंह मुंडा ने आदिवासी महासभा का नाम बदलकर झारखंड पार्टी कर दिया और बिहार की राजनीति में उतर गया
जिसके बाद साल 1952 में 3-3 विधान सभा सीट जीती थी जबकि 1962 में 20 सीट में विजय मिली थी तब उन्होंने राज्य पुनर्गठन आयोग के सामने उन्होंने झारखंड अलग राज्य बनाने की अपील की उन्हें कारण कारण भी बताया लेकिन उनके अपील की खारिज कर दिया जिसके कारण बिना किसी से कहें पूछे कांग्रेस पार्टी में अपना पार्टी मिला कर दिया जिसके कारण बिहार में सात मुख्यमंत्री देखे गए,
झारखंड मुक्ति मोर्चा इनके संस्थापक बिनोद बिहारी महतो थे।
जिसके कारण झारखंड अलग करने की मांग की गई तभी एक नए पार्टी का नियम हुआ जिसका नाम था झारखंड मुक्ति मोर्चा इनके संस्थापक बिनोद बिहारी महतो थे। इनका भी सोच झारखंड अलग राज्य बना था। जब उन्हें महसूस हुआ अलग पार्टी की जरूरत है तब उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी बनाई जिसके शिबू सोरेन बिनोद बिहारी महतो जैसे कई बड़े-बड़े नाम जुड़ता गया। जिससे झारखंड अलग करने में बहुत बड़ा प्रभाव था। फिर आजादी के भारत मे पंचवशी योजना शुरू कि गई।
तब सरकार ने झारखण्ड में उद्योग लगाने पर ध्यान दिया। क्योंकि आपातकालीन संपदा थे जो झारखंड में थे झारखंड के लोग ज्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं थे जिसके कारण बाहरी लोगों को नौकरी मिला जिसके कारण बाहरी लोगों की तादाद बढ़ने लगी। जिसे झारखंड की डेमोक्रेसी बदलने लगी जिसके कारण साल 1987 में झारखंड सामान्य समिति का गठन हुआ। जिसे तय किया गया सभी पार्टी को जोड़कर एक किया जाए। जिसके नाम झारखंड से शुरू होता है जिससे कारण नई पार्टी बहुत बड़ी बन गई इस पार्टी के छोटे-छोटे बहुत सारे जिसके कारण भारत सरकार का ध्यान आकर्षित हुआ। जिसके कारण झारखंड मामले को देखने के लिए एक समिति का गठन किया गया।
उन्होंने लिखा की झारखण्ड अलग करना कहीं सही है
1990 समिति ने भारत सरकार को एक रिपोर्ट दाखिल किया। जिसमे उन्होंने लिखा की झारखण्ड अलग करना कहीं सही है कहा गया था उसी समय राजीव गांधी की मौत हो गई। इसके बाद भारत को बहुत बड़ा झटका लगा था। कि 24 सितंबर 1994 में भारत सरकार और बिहार सरकार और झारखण्ड आंदोलनकरी के बीच एक त्रिपच्ये समझोता हुआ। इस समझौते मे झारखण्ड को कुछ अधिकार दिया गया। जो आधा अधूरा ही था।
समय बीतने के बाद साल 1996 का लोकसभा चुनाव आया जिसके अध्यक्ष बिहारी वाजपेई जी थे जो कि देश का प्रधानमंत्री बनाया गया था इस समय भारत में भाजपा का सरकार था साथ में झारखंड में भी भाजपा का अनुकूलित सरकार था इस कारण कई सालों के तपस्या के बाद 15 नवंबर साल 2000 में झारखंड को बिहार से अलग राज्य का गठन किया गया।
झारखंड पहले कौन से राज्य में था
झारखण्ड पहले बिहार राज्य मे था लेकिन 15 Nov साल 2000 में झारखण्ड बिहार से अलग हुआ था।
उम्मीद है की आजकी इस पोस्ट में आप जान चुके होंगे I झारखंड को अलग बनने का मांग क्यू कर रहे थे। खनिज संपदा से भरा प्रदेश। झारखंड पहले कौन से राज्य में था अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा होगा तो इसे दोस्तो के साथ Facebook, WhatsApp पर शेयर जरूर करें, और ऐसी जानकारी जानने के लिए NayiJankari.com ( नयी जानकारी ) वेबसाइट पर आते रहिगा.